धर्म को बेचने के अगले डेढ़ साल!
कहीं चले जाएं, कोई भी मौका हो, रेलवे के प्लेटफॉर्म पर या पेट्रोल पंप या मंदिरों, देवस्थानों, तीर्थस्थानों, उत्सव व त्योहारों के हर मौके पर, हर जगह पर हिंदू धर्म बेइंतहां बिक रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिर पर त्रिपुट लगाए, रूद्राक्ष-मालाओं-वस्त्रों के विभिन्न शृंगारों में जनता को दर्शन दे रहे हैं। उनकी देखा-देखी अब पिछले सप्ताह राहुल गांधी भी महाकाल के आगे साष्टांग लेट आस्था दिखलाते मिले तो अरविंद केजरीवाल पहले ही करेंसी पर लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर से धनधान्य बरसने की गुजरातियों में आस्था बरसाते हुए वोट पा रहे हैं।
जाहिर है गुजरात चुनाव टर्निंग प्वाइंट है। तय मानें, नोट करके रखें कि अगला लोकसभा चुनाव कैसे और किन मुद्दों पर लड़ा जाएगा। गुजरात में जहां भाजपा का राज 27 साल से राज है और पिछले आठ साल से डबल इंजन की सरकार चल रही है वहां भी धर्म, अस्मिता, आतंकवाद और मोदी जी के मान-अपमान के मुद्दे पर लड़ना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री और उत्तर प्रदेश से लेकर असम तक के मुख्यमंत्री एक ही लाइन पर प्रचार कर रहे हैं। हिंदुओं, मोदी जी को जिताओ नहीं तो हर शहर में आफताब पैदा होगा। मोदी जी को जिताओ क्योंकि भाजपा ही अकेले आतंकवाद रोक सकती है, बाकी पार्टियां आतंकवाद को सफलता का शॉर्टकट मानती हैं। मोदी जी को जिताओ क्योंकि राहुल गांधी की शक्ल सद्दाम हुसैन से मिलने लगी है। मोदी जी को जिताओ क्योंकि भाजपा की सरकार अवैध मजार और कब्र तुड़वा रही है। ये कुछ प्रचार के मुद्दे हैं, जिन पर भाजपा नेताओं ने विकास मॉडल वाले गुजरात में वोट मांगा हैं।
इसलिए लगता है कि भाजपा ने सबका साथ, सबका विकास या केंद्रीय एजेंसियों के लाभार्थियों को नमक के कर्ज की याद दिला कर वोट मांगने का रास्ता छोड़ दिया है। अब तक भाजपा इसी नाम पर चुनाव लड़ रही थी। इस साल के शुरू में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हुए थे तो प्रधानमंत्री ने गरीब-गुरबों को नमक का कर्ज याद दिलाया था। लेकिन हिमाचल प्रदेश और गुजरात के चुनाव में लाभार्थियों का जिक्र नहीं हो रहा है।
इसके बजाय धर्म, गुजराती अस्मिता, प्रधानमंत्री के मान-अपमान और आतंकवाद के मसले पर वोट मांगा जा रहा है। अरविंद केजरीवाल को आतंकवादी और राहुल गांधी को गुजरात व गुजरातियों को बदनाम करने वाला गुजरात विरोधी बताया जा रहा है। साफ है कि अगले लोकसभा चुनाव तक धर्म की दुहाई, धर्म को बेचने का हिंदू राजनीति अकल्पनीय वैश्विक रिकार्ड बनाएगी। पूरा फोकस हिंदू धर्म पर होगा। अभी गुजरात में मोदी जी गुजरात गौरव हैं लेकिन लोकसभा में हिंदू गौरव होंगे।
जमीन तैयार कर ली गई है। प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस की महामारी के बीच अयोध्या में भव्य राम जन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास किया था। जनवरी 2024 में मंदिर बन कर तैयार हो जाएगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिमाचल प्रदेश और गुजरात के विधानसभा चुनाव प्रचार में इसका जिक्र किया है। अमित शाह भी भव्य राममंदिर के निर्माण का जिक्र भाषणों में कर रहे है। उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटें हैं और भाजपा को पता है कि राज्य के लोगों के लिए राममंदिर का मामला बहुत बड़ा मामला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किस तरह से धार्मिक कार्यक्रमों को ग्रैंड इवेंट में बदलते हैं यह काशी कॉरिडोर के लोकार्पण या उज्जैन में महाकाल लोक के लोकार्पण के समय देश ने देखा है।
सो, तय मानें कि अयोध्या में जनवरी 2024 में भव्य राममंदिर का लोकार्पण ग्रैंड इवेंट होगी। सारी दुनिया इसका प्रसारण देखेगी। यह हिंदू आकांक्षाओं और भावनाओं की पूर्णता का आयोजन होगा। ध्यान रहे 2019 के चुनाव से ठीक पहले फरवरी 2019 में पुलवामा कांड हो गया था, जहां आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान मारे गए थे। वह बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया था और भाजपा ने शहीद जवानों के नाम पर वोट मांगे थे। इस बार चुनाव से ऐन पहले राममंदिर का लोकापर्ण होगा और कहने की जरूरत नहीं है कि यह बड़ा मुद्दा बनेगा।