भाजपा में कभी चुनाव नहीं हुआ

कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की तैयारियां चल रही हैं। कांग्रेस की सारी तैयारियों पर इस बात का दबाव दिख रहा है कि उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा क्या सोचेगी या उसकी क्या प्रतिक्रिया होगी। एक तरह से भाजपा के दबाव में कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हो रहा है और राहुल गांधी दोबारा अध्यक्ष नहीं बन रहे हैं। सोनिया गांधी के परिवार को इस बात की चिंता सता रही है कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वंशवाद का मुद्दा उठाएंगे और कहेंगे कि कांग्रेस में अध्यक्ष का पद एक परिवार के लिए आरक्षित है। इस चिंता का साया कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव पर साफ दिख रहा है।

लेकिन हकीकत यह है कि पिछले 30 साल में कांग्रेस में कम से कम दो बार अध्यक्ष का चुनाव हुआ है लेकिन भाजपा में कभी अध्यक्ष का चुनाव नहीं होता है। जो पार्टी का सर्वोच्च नेता होता है वह अध्यक्ष बनता है या फिर उसकी मर्जी और आरएसएस की सहमति से अध्यक्ष निर्विरोध चुना जाता है। एक तरह से आरएसएस वाला नियम ही भाजपा में चलता है। आरएसएस में सरसंघचालक अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करते हैं। उसी तरह भाजपा में भी होता है। इसके बावजूद विडंबना है कि भाजपा दूसरी पार्टियों के आंतरिक लोकतंत्र पर सवाल उठाती है!

भाजपा का गठन 1980 में हुआ तो उस समय पार्टी के तीन सबसे बड़े नेता थे- अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी। जब तक केंद्र में भाजपा की सरकार नहीं बनी तब तक अगले 18 साल ये ही तीन नेता अध्यक्ष बनते रहे। पहले वाजपेयी हुए फिर आडवाणी बने और तब जोशी बने और फिर आडवाणी बन गए। जब केंद्र में सरकार बनी तब वाजपेयी व आडवाणी ने 1998 से 2004 के छह साल में चार अध्यक्ष बनवाए। पहले कुशभाऊ ठाकरे, फिर बंगारु लक्ष्मण, जना कृष्णमूर्ति और वेंकैया नायडू।

जैसे ही 2004 में भाजपा चुनाव हार कर केंद्र सरकार से बाहर हुई वैसे ही फिर लालकृष्ण आडवाणी अध्यक्ष बन गए। हालांकि पाकिस्तान की उनकी यात्रा और जिन्ना विवाद के बाद उनको इस्तीफा देना पड़ा था फिर भी पार्टी संगठन पर उनकी पकड़ कायम रही। उनके बाद राजनाथ सिंह अध्यक्ष बने, फिर नितिन गडकरी और फिर राजनाथ सिंह को कमान मिली। इनका भी कोई चुनाव नहीं हुआ था। पार्टी के शीर्ष नेताओं और संघ की सहमति से इनको निर्विरोध अध्यक्ष बनाया गया था। उसके बाद की कहानी सबको पता है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 2014 में अमित शाह अध्यक्ष बने और 2019 में अमित शाह के केंद्रीय गृह मंत्री बनने के बाद जेपी नड्डा को अध्यक्ष बनाया गया। इन नेताओं की योग्यता पर कोई सवाल नहीं है लेकिन हकीकत यह है कि कोई भी चुनाव के जरिए अध्यक्ष नहीं बना है। भाजपा कहती है कि पिछले 20 साल में उसके यहां आठ लोग अध्यक्ष बने हैं, जबकि कांग्रेस में सिर्फ दो लोग अध्यक्ष बनें। पिछले 30 साल का आंकड़ा देखें तो भाजपा में नौ लोग अध्यक्ष बने हैं और कांग्रेस में चार लोग, जिनमें से दो लोगों ने चुनाव लड़ा।

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