राजस्थान में बिगड़ती कानून-व्यवस्था के खिलाफ बीजेपी ने खुला मोर्चा, 20 अगस्त को करेगी सीएम हाउस का घेराव

जयपुर। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रेसवार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि, प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर आप सब जानते हैं कि लोकतंत्र को कायम रखने में किसी भी लोक कल्याणकारी सरकार में अपराध पर नियंत्रण और कानून व्यवस्था बनाए रखना, यह बहुत ही महत्वपूर्ण कारक होता है।

कांग्रेस ने 2018 के अपने घोषणापत्र में इस बात का भरोसा दिलाया था कि प्रदेश की कानून व्यवस्था को दुरुस्त रखेंगे, पुलिस को आधुनिक बनाएंगे, संसाधनों से युक्त करेंगे और अपराधों पर नियंत्रण करेंगे, किसी भी प्रदेश की कानून व्यवस्था उसके महत्वपूर्ण कारकों में इसलिए होती है कि शांति व्यवस्था से लेकर सद्भाव से लेकर उसकी आर्थिक तरक्की से भी इसका संबंध होता है।

राजस्थान ऐसा प्रदेश है कि जिसकी भारत में अभी तक एक छाप रही, छवि रही, साख रही है कि राजस्थान एक शांतिपूर्ण प्रदेश है, यहां सद्भाव भी रहा है और यहां दुनिया से भारत में आने वाला हर तीसरा पर्यटक राजस्थान आता है, पर्यटन का राजस्थान की आर्थिक तरक्की में बहुत बड़ा योगदान है।

पिछले दिनों उदयपुर में एक घटना घटित हुई जिसमें कन्हैयालाल का जिस तरीके से सर कलम किया गया, उसके तत्काल बाद उदयपुर के पर्यटन व्यवसाय की सारी बुकिंग निरस्त हो गई, उस घटना से वहां के लोग इतने आहत और भयभीत हुए कि जितने विदेशी और देशी पर्यटक आते थे, उदयपुर एक वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित हुआ और लाखों लोगों को रोजगार देता है।

इस घटना के बाद उदयपुर का पर्यटन व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुआ, लोगों के रोजगार पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है, जिनके सामने आजीविका का संकट भी पैदा हुआ है।
प्रदेश की कानून व्यवस्था की पृष्ठभूमि के बारे में इसलिए बात की कि आपने एक वीडियो देखा है जिसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुजरात में प्रेस को संबोधित कर रहे थे तो इस दौरान जब एक पत्रकार ने उनसे सवाल पूछा तो वह जमवारामगढ़ की महिला टीचर को जलाने की घटना से अनभिज्ञ थे, उनको उनके सहयोगी ने बताया कि जमवारामगढ़ में इस तरीके की घटना हो गई, उन्होंने जयपुर की घटना का भी जिक्र किया कि जयपुर में एक साधु ने आग लगाकर आत्मदाह की कोशिश की, यह एक बानगी है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री जो गृहमंत्री भी हैं, प्रदेश की कानून व्यवस्था को चुनौती देने वाली घटनाओं पर कितने संवेदनहीन हैं और कितने अनभिज्ञ हैं।

ऐसी घटनाओं की एक लंबी फेहरिस्त है, यह तकलीफ भी है, राजस्थान का दुर्भाग्य है कि कांग्रेस सरकार को साढे तीन सालों में कोई पूर्णकालिक गृहमंत्री मिला ही नहीं।
मुख्यमंत्री यदि परफॉर्म करते तो भी शिकायत नहीं होती, लेकिन हालातों से ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री को राजस्थान की जनता की जनसुरक्षा से कोई सरोकार नहीं है, मुख्यमंत्री को कोई सरोकार है तो अपनी कुर्सी से है, कुर्सी की सुरक्षा उनके लिए जनसुरक्षा से बड़ी है।
कालांतर में जितनी घटनाएं हुई, उसकी पृष्ठभूमि में लगातार ऐसी फेहरिस्त है कि एक के बाद एक, लोगों के बीच में अविश्वास पैदा किया, भरोसा खत्म कर दिया, ऐसा लगता है कि धीरे-धीरे जिस तरीके से राजस्थान में घटनाक्रम हुए हैं, अपराधों की राजधानी हो गया हो।
पुलिस थानों के बाहर एक पंचलाइन लिखी होती है, आमजन में विश्वास-अपराधियों में डर, जो मैंने आपके सामने आंकड़े प्रस्तुत किए हैं उनसे यह बात प्रमाणित हो जाती है कि कांग्रेस के राज में अशोक गहलोत की सरपरस्ती में अपराधियों में भरोसा और आमजन में भय, यह पंचलाइन इस रूप में परिवर्तित की जा सकती है।

मित्रों शांतिपूर्ण प्रदेश राजस्थान में आंकड़े अपने आपमें कानून व्यवस्था की बानगी बताते हैं, राजस्थान में साढ़े तीन वर्षों में अब तक सात लाख, 97 हजार 693 मुकदमे दर्ज हुए हैं, यह पहली बार हुआ है जो कभी नहीं हुआ।
मुख्यमंत्री का एक पुअर डिफेंस है कि राज्य सरकार ने एफआईआर को फ्री कर दिया, ऐसी घटनाएं आप अपनी कलम से लिखते हैं कि कोई बलात्कार पीड़िता बलात्कार की शिकायत लेकर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने जाती है तो उसके साथ थाने में बलात्कार होता है, तो एफआईआर झूठी कैसे हो सकती है।
मुख्यमंत्री एक पुअर डिफेंस लेते हैं, फ्री एफआईआर होने के कारण मुकदमों की फेहरिस्त बढी है, इसका मतलब कहीं ना कहीं धुंआ है, इसीलिए आग है।

प्रदेश में साढ़े तीन वर्षो में कुल 7 लाख 97 हजार 693 मामले दर्ज हो चुके हैं, 6 हजार 325 हत्याएं हो चुकी हैं, 5 हजार से भी अधिक लूट की वारदात हो चुकी हैं, चोरी की वारदात 1 लाख 29 हजार 489 हो चुकी हैं, महिलाओं पर अत्याचार के मामले 1 लाख 45 हजार 288 दर्ज हो चुके हैं, बच्चियों, महिलाओं पर रेप एवं गैंगरेप से संबंधित मामलों में 22 हजार 148 दर्ज हो चुके हैं, 26 हजार 794 मामले अनुसूचित जाति से संबंधित मामले दर्ज हुए।
प्रदेश में 7 हजार 374 मामले अनुसूचित जनजाति से संबंधित मामले दर्ज हुए, वर्ष 2020 के मुकाबले 2022 में हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती, लूट, अपहरण, बलात्कार, चोरी, नकबजनी में बढ़ोतरी हुई है, चोरी के मामलों में 21.53 प्रतिशत, लूट 28.57 प्रतिशत, बलात्कार 19.34 प्रतिशत और महिला अत्याचार में 18.75 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई।

कांग्रेस सरकार के शासन में सबसे ज्यादा पीड़ित और प्रताड़ित कोई है वह अनुसूचित जाति और जनजाति तबके हैं।

मित्रों राजस्थान में एक के बाद एक अपराधों की जो फेहरिस्त बढी हुई है, यह सिलसिला यहीं नहीं रुका, अभी ताजातरीन मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ी, अलवर के गोविंदगढ़ में चिरंजीलाल सैनी की हत्या, पार्टी का प्रतिनिधिमंडल आज वहां तथ्यात्मक जांच हेतु गया है।

हनुमानगढ़ जिले में कल साधु की हत्या हुई, जयपुर जिले के जमवारामगढ़ में एक महिला शिक्षिका की जलाकर हत्या कर दी गई, आज जयपुर में एक साधु ने आग लगाकर आत्मदाह की कोशिश की है, इस तरीके की घटनाएं स्पॉन्सर्ड नहीं होती हैं, अपराध तभी होता है जब अपराधी बेखौफ होता है। कोई हत्या और कोई आत्मदाह या आत्महत्या का कारण दुष्प्रेरण जरूर होता है।

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