कांग्रेस पर पहरा क्यों?

कांग्रेस मुख्यालय और पार्टी के दो सबसे बड़े नेताओं- सोनिया गांधी और राहुल गांधी के घर पर बुधवार शाम क्यों पुलिस का पहरा बैठाया गया, यह समझना मुश्किल है। क्या इसका संबंध नेशनल हेराल्ड पर चल रही कार्रवाई से है? लेकिन अगर एक पल के लिए मान लें कि इस मामले में चल रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में गांधी परिवार के खिलाफ कोई साक्ष्य मिले हैं, तो कार्रवाई उन पर व्यक्तिगत रूप से होनी चाहिए थी। पूरी पार्टी पर आखिर पहरा क्यों बैठाया गया? कांग्रेस नेताओं ने बताया कि इन कार्रवाइयों से कुछ देर पहले उन्हें दिल्ली पुलिस का संदेश मिला, जिसमें बताया गया कि कांग्रेस पांच अगस्त को महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन का आयोजन नहीं कर सकती। अगर इन दोनों बातों में कोई संबंध है, तो फिर यह सवाल भी विचारणीय हो जाता है कि हाल में राहुल और सोनिया गांधी और पूरी कांग्रेस पार्टी पर शिकंजा क्यों इसलिए कसा जा रहा है कि पार्टी ने दो अक्टूबर से देशव्यापी पदयात्रा का कार्यक्रम घोषित कर रखा है? इन प्रश्नों के सिलसिले में यह शक पैदा होना लाजिमी है कि क्या सरकार उस बड़े कार्यक्रम से पहले राहुल गांधी को घेर लेना चाहती है।

देश में महंगाई और बेरोजगारी को लेकर बेचैनी है। सरकार के पक्ष में बात सिर्फ यह जाती है कि लोग यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि इसके लिए दोषी कौन है। भाजपा नियंत्रित मीडिया उनके दिमाग को दूसरे मामलों में उलझाए रखने में अब तक सफल रहा है। यही वजह है कि संसद के मंच पर मंत्री और सत्ताधारी दल के नेता यह कहने का साहस जुटा लेते हैं कि देश में महंगाई नहीं है और आर्थिक स्थिति सुदढ़ है। संभवतः इस मौके पर सरकार के लिए यह पहलू असहज करने वाला हो गया है कि कोई नेता या पार्टी उसके मुश्किल से तैयार किए गए इस नैरेटिव को तोड़ने की कोशिश करे। अगर ये तमाम बातें कांग्रेस पर बैठाए गए पहरे का कारण हैं, तो समझा जा सकता है कि आने वाले दिनों में पार्टी पर प्रहार और तेज होगा। अब ये सवाल देशवासियों के सामने है कि वे ऐसी प्रवृत्तियों पर कब तक चुप रहते हैं!

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