केंद्र की ‘अग्निपथ’ योजना पर पूर्व सैन्य अधिकारियों की राय जुदा-जुदा
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को भारतीय युवाओं को सशस्त्र बलों में सेवा का मौका देने के लिए ‘अग्निपथ’ भर्ती योजना को मंजूरी दे दी। इस योजना पर पूर्व सैन्य अधिकारियों की हालांकि अलग-अलग राय है। नई योजना के तहत भर्ती किए गए सैनिकों को सशस्त्र बलों में ‘अग्निवीर’ के रूप में शामिल किया जाएगा, जो विरासत भर्ती मॉडल के तहत भारतीय सेना में शामिल होने वाले सिपाहियों के अलावा एक नई रैंक है।
‘अग्निपथ’ मॉडल छह महीने के प्रशिक्षण सहित चार साल के लिए सेना, वायुसेना और नौसेना में अधिकारी रैंक (पीबीओआर) से नीचे के कर्मियों की भर्ती करेगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, “सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी ने आज ‘अग्निपथ’ की परिवर्तनकारी योजना को मंजूरी देने के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इसके तहत भारतीय युवाओं को सशस्त्र बलों में शामिल होने का मौका दिया जाएगा।”
हालांकि, सेवानिवृत्त सैनिकों ने इस योजना और सशस्त्र बलों में युवाओं की अल्पकालिक भागीदारी के बारे में अलग-अलग राय व्यक्त की।
आईएएनएस से बात करते हुए मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) पी.के. सहगल ने कहा कि भारतीय सेना दुनिया की सबसे बेहतरीन ताकतों में से एक है।
हालांकि, उन्होंने कहा कि तीन से चार साल के लिए अग्निपथ मॉडल के जरिए युवाओं की भर्ती करना बलों के लिए सही नहीं है।
सहगल ने कहा, “एक व्यक्ति को एक पूर्ण सैनिक बनने में लगभग छह से सात साल लगते हैं। लेकिन इससे पहले ये युवा नौकरी से बाहर हो जाएंगे।”
इस प्रक्रिया के माध्यम से चुने जाने वालों को ‘पर्यटक’ करार देते हुए सहगल ने कहा कि अगर प्रशिक्षण भारतीय सेना के सार को समझने के लिए पर्याप्त नहीं है तो उसे सिर्फ छह महीने का समय मिलेगा।
उन्होंने कहा, “सैनिकों ने देश की सेवा करने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी, लेकिन वे ऐसा जोखिम क्यों उठाएंगे और साहस और देशभक्ति दिखाएंगे, जब उन्हें पता होगा कि वे सिर्फ चार साल के लिए नौकरी में रहेंगे।”
सहगल ने कहा कि अगर उन्हें चार साल काम करना है, तो उनकी सेवा का अंतिम वर्ष दूसरी नौकरी की तलाश में बीत जाएगा।
सहगल ने कहा, ऐसे में वे अपने काम के प्रति समर्पण नहीं दिखा पाएंगे।
वहीं, मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) अशोक कुमार ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “अग्निपथ योजना सशस्त्र बलों और राष्ट्र दोनों के लिए महत्वपूर्ण और उपयोगी है। बलों को युवा उम्मीदवार मिलेंगे, जिससे इकाइयों की औसत आयु लगभग 32 वर्ष से कम हो जाएगी, जबकि इस समय 26 साल है।”
कुमार ने आईएएनएस से कहा, “सशस्त्र बलों में नियमित कैडर के रूप में नामांकन के लिए चुने गए लोगों के पास हथियारों को संचालित करने, इकाइयों का नेतृत्व करने और भविष्य के युद्धों के लिए क्षमताओं को बढ़ाने के लिए बेहतर कौशल होगा।”